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सोशियल मिडिया के ज्यादातर प्लेटफॉर्म पर एक बात जित

सोशियल मिडिया के ज्यादातर प्लेटफॉर्म पर एक बात जितनी आम है उतनी ही ख़ास भी है, वो यह कि आपके अनुयायी (Follower) चाहे जितने भी हो, परंतु आपके हर पोस्ट पर सब से ज़्यादा वे लोग लाईक करते है जो आपके अनुयायी (Follower) होते ही नही, क्योंकि आपके अनुयायियों को किसी और को भी लाईक करना होता है, वैसे भी एक ख़ूबसूरत शायर उस्ताद "सरशार सैलानी साहब जी" की यह  ख़ूबसूरत ग़ज़ल पेश-ए-ख़िदमत है वो यह कि..

चमन   में   इख़्तिलात-ए-रंग-ओ-बू   से   बात   बनती   है
हम ही हम हैं तो क्या हम हैं तुम ही तुम हो तो क्या तुम  हो

अँधेरी     रात      तूफ़ानी       हवा     टूटी     हुई     कश्ती
यही  अस्बाब  क्या  कम  थे  कि  इस  पर नाख़ुदा  तुम हो

ज़माना     देखता     हूं      क्या    करेगा     मुद्दई    होकर
नहीं   भी    हो   तो   बिस्मिल्लाह   मेरे    मुद्दआ  तुम   हो

हमारा     प्यार    रुस्वा-ए-ज़माना     हो     नहीं     सकता
न   इतने   बावफ़   हम   है   न   इतने   बावफ़ा   तुम   हो

                                                      -- सरशार सैलानी

©अदनासा- ग़ज़ल सौजन्य एवं हार्दिक आभार🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳
चमन में इख़्तिलात-ए-रंग-ओ-बू से बात बनती है

सरशार सैलानी
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ग़ज़ल सौजन्य एवं हार्दिक आभार🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳 चमन में इख़्तिलात-ए-रंग-ओ-बू से बात बनती है सरशार सैलानी https://rek.ht/a/1aac/2सरशारसैलानीजी #हिंदी #SocialMedia #ग़ज़ल #Instagram #SunSet #Facebook #Pinterest #विचार #अदनासा

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