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धरती का दुःख क्यों, समझते नहीं तुम। धरा न रही अगर,

धरती का दुःख क्यों, समझते नहीं तुम।
धरा न रही अगर, तो रहोगे नहीं तुम।।

सुधा दे रही है वसुधा हमें तो,
भू को न बचाया, तो बचोगे नहीं तुम।।

"भूमि हमारी माता, हम पृथिवी के पुत्र"*
वेदवाणी कह रही, क्या कहोगे नहीं तुम।।
(स्वरचित)
* माता भूमि: पुत्रो अहं पृथिव्या:
(अथर्ववेद १२/१/१२)

 धरती का दुःख हम नहीं समझेंगे तो कौन समझेगा।
इसमें धरती के पर्यायवाची शब्द भी हैं।
धरती का दुःख क्यों, समझते नहीं तुम।
धरा न रही अगर, तो रहोगे नहीं तुम।।

सुधा दे रही है वसुधा हमें तो,
भू को न बचाया, तो बचोगे नहीं तुम।।

"भूमि हमारी माता, हम पृथिवी के पुत्र"*
वेदवाणी कह रही, क्या कहोगे नहीं तुम।।
(स्वरचित)
* माता भूमि: पुत्रो अहं पृथिव्या:
(अथर्ववेद १२/१/१२)

 धरती का दुःख हम नहीं समझेंगे तो कौन समझेगा।
इसमें धरती के पर्यायवाची शब्द भी हैं।

धरती का दुःख हम नहीं समझेंगे तो कौन समझेगा। इसमें धरती के पर्यायवाची शब्द भी हैं।