हसरतें इतनी भी नहीं मेरी कि उन्हें मैं पा न सकूँ.. मंज़िलें इतनी दूर भी नहीं कि मैं पहुँच ना सकूँ....कमज़ोर इतना भी नहीं कि गिरू फिर दौड़ न सकूँ..!! Akshat Verma✍️ #जब_तक_मंजिल_मिल_न_जाये_तब_तक_मंजिल_ढूढ़ना_चाहिए_मंजिल_को!!