शशि सा जिसका चेहरा है रूप रंग का ऐसा पहरा है लावण्य की वो मूरत है मन-भावन जिसकी सूरत है घटा से जिसके कुंतल हैं मृग से जिनके नैन जो देख ले उसे इक नज़र फिर क्यूँ ना हो वो बेचैन ज्योति सा जिसमे वेग है वैभव से भरी वो मेघ है दामिनी सा चमचमाती वो क्यूँ न हो खुद पे इठलाती वो अनोखी सी वो कहानी है बांवली है वो दीवानी है शशि-चाँद लावण्य- सुंदरता कुंतल-केश दामिनी-बिजली वैभव-ऐश्वर्य #yqdidi #yqquotes #yqtales #yqdairy