दरिया को हम आंख में भर सकते हैं, तुफानों को एक इशारे पर मोड़ सकते हैं, सूरज को अपने मुट्ठी में दबोच सकते हैं, अगर हम बोलने के लहज़ा पर उतर आएं तो सारे लखनऊ को हम अपना दीवाना बना सकते हैं। ©Shamashad Ali Sangam #लहज़ा