ए इन्सान तुझसे तो अच्छा ये आयना है । जो जैसा है वैसा दिखाता है पर सच बोलने से कभी नही घबराता है ।। ए इन्सान तू अपनी सूरत को.... यू हेरत से ना देख आयने मे... यह वही सच दिखा रहा है.. जो तू झूठा नकाब लिए दूनियाँ से छिपा रहा है ।। Poetry jyoti khandelwal. Sirohi jyoti khandelwal