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श्रूयतां धर्मसर्वस्वंश् श्रुत्वा चैवावधार्यताम्। आ

श्रूयतां धर्मसर्वस्वंश् श्रुत्वा चैवावधार्यताम्।
आत्मनः प्रतिकूलानि परेषां न समाचरेत्।।

अर्थात-धर्म (कर्तव्य पालन) का ज्ञान का सार क्या है, सुनो। और सुन कर इसका अनुगमन (धारण) करना चाहिए। स्वयं को जो अच्छा ना लगे वह व्यवहार दूसरों के साथ नहीं करना चाहिए।
                    आचार्य-विनय पाण्डेय

©vinay pandey #अच्छेविचार
श्रूयतां धर्मसर्वस्वंश् श्रुत्वा चैवावधार्यताम्।
आत्मनः प्रतिकूलानि परेषां न समाचरेत्।।

अर्थात-धर्म (कर्तव्य पालन) का ज्ञान का सार क्या है, सुनो। और सुन कर इसका अनुगमन (धारण) करना चाहिए। स्वयं को जो अच्छा ना लगे वह व्यवहार दूसरों के साथ नहीं करना चाहिए।
                    आचार्य-विनय पाण्डेय

©vinay pandey #अच्छेविचार