*हिजाब से क्यों मुश्किल है*? क्या है लड़की आपकी नजर में कठपुतली सी बेजान गुड़िया या फिर अपनी हस्ती रखने वाली जिसके अंतस बसते प्राण । क्यों उसके ऊपर अपनी मर्जी थोपते हो ?? कैसे हँसे , कैसे बोले , क्या पहने ये सब सोचते हो देवी का दर्जा भी देते हो और बेशर्मी से लूटते हो खुद पर अंकुश जरा नहीं है बंदिश उस पर थोपते हो। अरे अपने काम से काम रखो क्यों उस पर नजरें जमाते हो । वो कुछ भी पहने ओढ़े तुम क्यों तकने जाते हो । वैसे हिजाब में क्या मुश्किल है मर्यादित पोशाक तो है । बुरी नजर पड़ने नहीं देता लफंगों से बचाता लाज भी है । क्यों धर्म के नाम पर लड़की को तन ढकने से रोकते हो । क्यों लड़की को बेनकाब कर भार में अस्मत झौंकते हो । रोकना है तो उनको रोको जो अर्धनग्न सी घूमती हैं । फैशन के नाम पर चिन्दी पहने सरे बाजार घूमतीं है । भारत में रहने वाली हर लड़की भारत माँ की बेटी है । हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई नहीं वो केवल हिंदुस्तानी बेटी है । है समानता की बात अगर तो सबको समान अधिकार दो । निर्भय हो जीवन यापन कर पायें ऐसा घर संसार दो । शिक्षा का मंदिर सबके लिए है मंदिर में प्रवेश समान दो । पहनावे पर नाहक जोर न डालो बस मर्यादित हो ध्यान दो । बस मर्यादित हो ध्यान दो । लेखिका/कवयित्री-प्रतिभा द्विवेदी मुस्कान © 17 फरवरी 2022 ©Pratibha Dwivedi urf muskan #हिजाब #प्रतिभा #प्रतिभाउवाच #प्रतिभाद्विवेदीउर्फमुस्कान© #प्रतिभाद्विवेदीउर्फमुस्कानकीकलमसे #नोजोटो