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बेटा जब जाता परदेस, मां भीगी पलकों से मुस्काती है।

बेटा जब जाता परदेस,
मां भीगी पलकों से मुस्काती है।
रखना खयाल तुम अपना,
यही बार-बार समझाती है।।

पिता को तनिक गुरुर आ जाता है,
बेटा जब कमाने लग जाता है।
बूढ़े पिता के अश्रु निकल पड़ते हैं,
जब पुत्र कमाई पहली लाता है।।

त्योहारों में छोटी बाट देखती जाती है,
रक्षाबंधन में अधिक याद सताती है।
मेरे भैया आएंगे,खूब खिलौनें लायेंगे,
गीत यही छोटू सबसे गाता रहता है।

मम्मी,पापा,ननद के करती सारे काम,
प्रियतम से कभी न करती वो बक़वास।
ह्रदय में छुपाये पिया का वो प्रेम अपार,
मिलन की बेला का करती वो इंतजार।।

अपनों के सपने करने हैं उसको पूरे,
यही संकल्प मन में कर करता कार्य,
ख़ुद की करते नही कभी जो परवाह,
ऐसे पुत्रों को करता आलोक प्रणाम।।

©आलोक अग्रहरि दुरूह जीवन
बेटा जब जाता परदेस,
मां भीगी पलकों से मुस्काती है।
रखना खयाल तुम अपना,
यही बार-बार समझाती है।।

पिता को तनिक गुरुर आ जाता है,
बेटा जब कमाने लग जाता है।
बूढ़े पिता के अश्रु निकल पड़ते हैं,
जब पुत्र कमाई पहली लाता है।।

त्योहारों में छोटी बाट देखती जाती है,
रक्षाबंधन में अधिक याद सताती है।
मेरे भैया आएंगे,खूब खिलौनें लायेंगे,
गीत यही छोटू सबसे गाता रहता है।

मम्मी,पापा,ननद के करती सारे काम,
प्रियतम से कभी न करती वो बक़वास।
ह्रदय में छुपाये पिया का वो प्रेम अपार,
मिलन की बेला का करती वो इंतजार।।

अपनों के सपने करने हैं उसको पूरे,
यही संकल्प मन में कर करता कार्य,
ख़ुद की करते नही कभी जो परवाह,
ऐसे पुत्रों को करता आलोक प्रणाम।।

©आलोक अग्रहरि दुरूह जीवन

दुरूह जीवन