तुम सोचते होगे.... कितना निर्दयी हूँ मैं! मुझे सिर्फ अपनी पड़ी रहती है तुम्हारे बारे में तो, मैं तनिक भी सोचता नहीं हूँ.... ! कितना स्वार्थी, कितना निर्मम है मेरा मन ! जैसे मुझे सजा दे रही हो तुम रोज -रोज " मुझे, तुमसे प्यार करने की " ©Kajalife.... तुम सोचते होगे..... ❤