समन्दर में उतर कर लहरों की गहराइयों को देखिएगा। अपने घर का भी तो कोई दीपक बुझा कर देखिएगा। कब तक ढूंढते रहोगे गैरों की कोख में भगत सिंह को, अपने आंचल में भी तो इन्कलाब उगा कर देखिएगा आशीष कुमार आशी आशी आशीष कुमार आशी 7018777397