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कोई आसान सा हमने कभी रस्ता नहीं देखा। निभाये उम्र

कोई आसान सा हमने कभी रस्ता नहीं देखा।
निभाये उम्र भर जो साथ, वाबस्ता नहीं देखा।।

ज़माने पर ख़ुदा की देख मेहर क्या बरसती है।
ज़ियारत में कोई इंसा कभी ख़स्ता नहीं देखा।।
© कमल कर्मा"के.के." #ज़ियारत #खुदा
कोई आसान सा हमने कभी रस्ता नहीं देखा।
निभाये उम्र भर जो साथ, वाबस्ता नहीं देखा।।

ज़माने पर ख़ुदा की देख मेहर क्या बरसती है।
ज़ियारत में कोई इंसा कभी ख़स्ता नहीं देखा।।
© कमल कर्मा"के.के." #ज़ियारत #खुदा