त्योहारों के मौसम में सब खुश,खिल ज्ञात कराते हैं पर्व व मेला मिल जाते हैं उत्सव की याद दिलाते हैं हाव भाव में होती ठसक सज धज में अपूर्व लचक नित्य नये मौसम आते हैं धर्म विशेषता बतलाते हैं विधि,सिद्धि के आँगन में रीत,रिवाज भर प्रांगण में अखण्ड दीपक जलाते हैं अटूट परम्परा अपनाते हैं त्योहारों के मौसम में सब प्रचलित प्रसाद पसारते हैं समस्त जाग्रतपत धरते हैं मिल,जुल मंगल करते हैं उत्सव की मुठ्ठी!! त्योहारों के मौसम में सब खुश,खिल ज्ञात कराते हैं पर्व व मेला मिल जाते हैं उत्सव की याद दिलाते हैं हाव भाव में होती ठसक