मेरे जख्मों को देखने की,कुछ लोगो को बड़ी बैचैनी है मेरे अपनों ने शायद कोई, आज नई चाल खेली है हमने भी छुपा लिए, हर जख्म को लिबास में खिलता है जैसे कोई गुलाब बागवान में बड़े टूटे दिल उनके, जो मेरे जख्म न देख पाए नश्तर चले उनपर जब हमको हंसता हुआ पाए मगर ना ये हार मानेंगे, नया जख्म देने में ना हम हार मानेंगे, उन जख्मों को छुपाने में मैं अब तक ऊपर वाले की लाठी के इंतजार में बैठी हूं करे कोई करवाई वो, बस ये हसरत ये लेके बैठी हूं मैं अपने मन की व्यथा उसके सामने कहती हूं सूख चुके जो आंसू, बस उसके सामने रोती हूं ए खुदा अब तुझपे से विश्वास खत्म होने से पहले आजा तू है अभी इस दुनिया में, ये सबको बताने आजा ©Savita Nimesh #बेकसी #Ocean