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कुछ भी तो ख़ाली नहीं था जहां कुछ नहीं था वहां हव

कुछ भी तो ख़ाली नहीं था 

जहां कुछ नहीं था वहां हवा थी

वो जगहें जो ख़ाली लगती थी
वहां भी भरी होती थी हवा ।

गिलास आधा भरा है या आधा ख़ाली में भी
आधे ख़ाली को ख़ाली नहीं कहा जा सकता
उस ख़ाली में भी तो थी हवा ।

पढ़ा जा सकता था 
लिखे हुए शब्दों के बीच की ख़ाली जगहों में भी 

कोरा काग़ज़ भी ख़ाली नहीं
भरा गया था सफ़ेद रंग उस पर

अपने ख़ालीपन में भी ख़ाली नहीं थे लोग
ख़ाली समय बिताने को ढूंढ ही लेते थे कुछ काम

कुछ भी कहीं भी ख़ाली नहीं था
सिवाय एक भरे हुए मन के ।।

©Aditya kumar prasad मेरे अनकहे अल्फाज़ 

Anshu writer J P Lodhi. Mili Saha FAKIR SAAB PRIYANKA GUPTA(gudiya)