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बैठी थी फुर्सत में आज, खोल कर पन्ने पुराने किसी

बैठी थी फुर्सत में आज, 
खोल कर पन्ने पुराने 
किसी पन्ने पर स्याही थी 
तो किसी पर लाल निशान 
याद कर के हंस पडी 
कि किस कदर रोई थी 
जब खो दी थी अपनी पहचान 
खुद की गलतियों से सीखने की जगह 
खुद ही खुद को सजा देती रही 
खुद को देखती रही दूसरों की निगाहों से 
आज पर्दा हटा तो मालूम हुआ, कि मैं भी किसी से कम नहीं।

©rayofhope counsling
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