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White चलो देखो चलो देखो, उस आदमी को, जो हर सुबह सू

White चलो देखो
चलो देखो, उस आदमी को,
जो हर सुबह सूरज संग जागता है,
सपनों की गठरी कंधे पर लादे,
हर शाम ख्वाबों के साथ हारता है।
चूल्हा जलाने की दौड़ में,
अपने अरमान जलाता है,
रोटी की हर गोलाई में,
जिंदगी का गोल घुमाता है।
उसके पांव में छाले हैं,
पर कदमों में थकान नहीं,
आंखों में उम्मीद बाकी है,
चाहे हाथों में सामान नहीं।
हर दर से वो लौट आता है,
पर खुदा से शिकवा नहीं करता,
गम के बादलों को चीर कर,
अपने हिस्से की धूप बुनता।
दुनिया जिसे नाकामी कहती है,
वो उसे सब्र कह जाता है,
हर दिन की छोटी जीतों में,
अपनी पूरी जिंदगी लगा जाता है।
चलो देखो, उस आदमी को,
जो हार के भी मुस्कुराता है,
ज़िंदगी के इस संग्राम में,
हर पल खुद को आज़माता है।
उसके संघर्ष में एक दर्शन है,
हर दर्द का एक पैगाम है,
कि गिरकर भी चलना सीख लो,
क्योंकि यही तो असल इम्तिहान है।
राजीव

©samandar Speaks #Sad_Status  Siddharth singh  Anant  अंजान  Mukesh Poonia  Samima Khatun
White चलो देखो
चलो देखो, उस आदमी को,
जो हर सुबह सूरज संग जागता है,
सपनों की गठरी कंधे पर लादे,
हर शाम ख्वाबों के साथ हारता है।
चूल्हा जलाने की दौड़ में,
अपने अरमान जलाता है,
रोटी की हर गोलाई में,
जिंदगी का गोल घुमाता है।
उसके पांव में छाले हैं,
पर कदमों में थकान नहीं,
आंखों में उम्मीद बाकी है,
चाहे हाथों में सामान नहीं।
हर दर से वो लौट आता है,
पर खुदा से शिकवा नहीं करता,
गम के बादलों को चीर कर,
अपने हिस्से की धूप बुनता।
दुनिया जिसे नाकामी कहती है,
वो उसे सब्र कह जाता है,
हर दिन की छोटी जीतों में,
अपनी पूरी जिंदगी लगा जाता है।
चलो देखो, उस आदमी को,
जो हार के भी मुस्कुराता है,
ज़िंदगी के इस संग्राम में,
हर पल खुद को आज़माता है।
उसके संघर्ष में एक दर्शन है,
हर दर्द का एक पैगाम है,
कि गिरकर भी चलना सीख लो,
क्योंकि यही तो असल इम्तिहान है।
राजीव

©samandar Speaks #Sad_Status  Siddharth singh  Anant  अंजान  Mukesh Poonia  Samima Khatun