*पति-पत्नी का रिश्ता* पति-पत्नी का रिश्ता भावना प्रधान होना चाहिए पद प्रधान नहीं , क्योंकि भावना पत्थर को भी भगवान बना देती है और भगवान से ऊँचा कोई पद नहीं ।सारी पढ़ाई लिखाई,डिग्रियाँ वहाँ बेमानी हो जाती हैं ,जहाँ बात मन के मिलन की होती है । और पति-पत्नी का आपस में मन मिलना ही रिश्ते की सार्थकता है । पत्नि कलेक्टर हो लेकिन पतिप्रिया ना हो तो क्या मतलब! ऐसे ही पति कलेक्टर हो, धनवान हो लेकिन पत्नि को प्रिय ना हो तो क्या मतलब, विवाह तो अर्थहीन ही हुआ ना । विवाह की सार्थकता तभी है जब पति-पत्नी में आपसी प्रेम हो ,समझ हो , सद्भावना हो !! *हम पढ़े-लिखे तुम गधे वाली बात नहीं होना चाहिए ।* वैसे भी जोड़ी ऊपर वाला ही बनाता है तो जो आपके हिसाब से फिट था ,या आप जितनी ल्याकत रखते थे वही जीवन साथी के रूप में आपको मिला है ।अब चाहे मुँह फुलाओ या मुस्कुराओ आपकी मर्जी ......!! 😂 *नोट- विवाह में आह! और वाह! दोनों हैं । ये आपके हाथ में है कि आप क्या लेते हैं!!😊* लेखिका/कवयित्री-प्रतिभा द्विवेदी मुस्कान© सागर मध्यप्रदेश ( 21 जुलाई 2022 ) ©Pratibha Dwivedi urf muskan #पतिपत्नी #प्रतिभा #प्रतिभाउवाच #प्रतिभाद्विवेदीउर्फमुस्कान© #प्रतिभाद्विवेदीउर्फमुस्कानकीकलमसे #नोजोटो #नोजोटोराइटर्स #स्वरचितविचार