मुझको रात के आईने में नज़र आता है, ख़ामोश रहता है वो दर्द चेहरे पर उसके बेइंतेहा मुस्कुराता है, मजबूर हूं मैं अपने इस रूप को मुझे औरों से छुपाना पड़ता है, लड़की हूं मैं कोई वस्तु नही क्यूं मुझे ये इतिहास दोहराना पड़ता है, वरदान में मिले इस कलंक के साथ मुझे जीना पड़ता है, कभी कभी अपनी पहचान को अपने ही हाथों से मिटाना पड़ता है, जब मेरा वो रूप रात के आईने में तस्वीर के जैसा उभरने लगता है.... एक ख़ूबसूरत #collab Aesthetic Thoughts की ओर से... #वोरूप #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi