खालीपन इस दुनिया का और भरा-भरा सा मेरा मन भीतर-भीतर छीज रहा है मेरे हृदय का विस्तृत आँगन यह बारिश तेरी स्मृति सी महका दी है सारा कण-कण अंदर से कुछ टूट रहा है जो मुझ को देता घनी चुभन सब व्यथा कथा निस्सार प्रिये! न कहना है विनिवेदन वह शाम मुझे न भूलेगी मलयानिल की शीतल सिहरन तेरे होठों की अरुणाभा नव पंखुड़ियों की मधुर छुअन #shamaurtanhai #193 #anam #365days365quotes