न जाने क्यों? मैं समझ नहीं पाता हूं मंज़िल पर पहुंचने के बाद लोग क्यों बदल जाते हैं? फ़िर सोच पड़ता हूं- या तो मंज़िल मुसाफिर को बदल देती हैं, या फ़िर मुसाफ़िर को ego आ जाता हैं। 😞😌😔 A.k.lodhi ©Alkesh Lovanshi God protect me from my ego....