जज्बाती था मैं शुरू से शायद तभी कठोर दिल ना बन सका यह मन मेरा कभी खुद से लगाई मैंने उम्मीदे सबसे ज्यादा पूरी तो होंगी ही मेरी यह चाहते भी कभी ना कभी मौका तो मिले मालिक कभी खुद को तलाशने का अपने इस चेहरे से परे रखी है मैंने असलियत की वह डूबती छवि हर समय अब रहने लगा मैं खुद में ही खोया सा जैसे कल्पनाओं की लहरों में खुद को डूबोए रखता कोई कवि Yãsh✍️ #poems #poem #Poetry #shaayri #words #Thoughts #Quote #Deep #Thinking #Walkingaway