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राक्षस जनों जो मनुष्य होकर भी राक्षस प्रवृत्ति के

राक्षस जनों जो मनुष्य होकर भी राक्षस प्रवृत्ति के व्यवहार करते हैं मुझे उन्हीं का इंतजार है जो मासूमों को हवस का शिकार बनाते हैं उनके साथ छेड़खानी करते हैं उनकी जिंदगी को बर्बाद करते हैं ऐसे के लिए मैं चंडी के रूप में आज हूं अंधेरी रातों में सुनसान राहों पर मैं उनकी छठी की रात याद करा दूंगी। अत्याचार यों के अंत करने हेतु।
राक्षस जनों जो मनुष्य होकर भी राक्षस प्रवृत्ति के व्यवहार करते हैं मुझे उन्हीं का इंतजार है जो मासूमों को हवस का शिकार बनाते हैं उनके साथ छेड़खानी करते हैं उनकी जिंदगी को बर्बाद करते हैं ऐसे के लिए मैं चंडी के रूप में आज हूं अंधेरी रातों में सुनसान राहों पर मैं उनकी छठी की रात याद करा दूंगी। अत्याचार यों के अंत करने हेतु।
ajaykumar7123

Ajay Kumar

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