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कि बग़ैर तेरे, अब हैं सब ग़ैर तेरे,, कि मुनासिब नही

कि बग़ैर तेरे,
अब हैं सब ग़ैर तेरे,,

कि मुनासिब नही,
अब हैं सब शहर तेरे,,

ये मसला थोड़ी,
अब है सब पहर तेरे,,

और अकेले कहाँ है ये,
अब हैं सब खैर तेरे,, #Tere sab hai khuda....
कि बग़ैर तेरे,
अब हैं सब ग़ैर तेरे,,

कि मुनासिब नही,
अब हैं सब शहर तेरे,,

ये मसला थोड़ी,
अब है सब पहर तेरे,,

और अकेले कहाँ है ये,
अब हैं सब खैर तेरे,, #Tere sab hai khuda....

#Tere sab hai khuda....