जब चली पुरवाई हवा,हौले से आँचल तेरा उड़ा बनके बूँदें मुझ पर तुम बरस गई,ये अंबर भी फिर गेरूआ हुआ रूह से रूह फिर जुड़ गई,इश्क की खु़शबू से महकने लगी हवा वो टूटकर फिर ऐसे सँवर गई,जैसे कुबूल हुई कोई पुरानी दुआ लफ्ज़ भी कम पड़ गए,जब ज़िक्र महफ़िल में तेरा हुआ वो हौलै से क्या मुस्कुरा दिए,नशा रात का और भी गहरा हुआ रात से फिर सहर हुई,जब चाँद ने बदली अपनी अदा साथ तेरे दिन भी ऐसे ढ़ल गया,जैसे रात से फिर मिल गई सुबह उसने अलविदा कभी कहा नहीं,इंतज़ार करना भी लाज़मी हुआ तेरे बिना दिल फिर कहीं लगा नहीं,मानो वक्त भी वहीं पे ठहर गया मिले तुम तो ऐसा लगा,जैसे डोर ज़िदगी से फिर जुड़ गई कोई दरख़्त फिर गुलज़ार हुआ,जब शहर से तेरे चली हवा... #romance #romantic_poetry #lovepoetry #nightthoughts #mypoetry #collabwithyqdidi #hindipoetry #hindishayari