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हेलमेट नहीं लगाएंगे, बाइक को खूब भगाएंगे। टेढे मेढ

हेलमेट नहीं लगाएंगे, बाइक को खूब भगाएंगे।
टेढे मेढ़े कट मारकर, फर से फुर हो जाएंंगे।।

रोके फिर चाहे थानेदार, मुंशी हो या हवादार।
रोके से भी रुके ना हम, विधायक हमारे चचा का यार।।

डंडा जो दिखाइस हमको, शायद ना पहचाने हमको।
निकाल के चालान की कापी, पुलिसगिरी दिखाए हमको।। 

फिर अपना टोर दिखाया हमने, फट से फोन लगाया हमने।
हैलो होते विधायक जी सू, दरोगा के कान पर लगाया हमने।।

इससे पहले के चचा कुछ बोले, दरोगा लिए चालान बुक खोले।
जैसे जैसे आए फोन से आवाज, मुंशी लगा भरने खुद गोले।।

देख के ये हमको गश आए, निकाल हरी पत्ती चेले को बढाए।
चेला भी निकला इमानदार, बाइक से महंगा चलान बनाए।। 

अब का करे कुछ समझ ना आया, के तभी दिमाग में आइडिया आया।
चला के फोन हुए फ़ेसबुक लाइव, चालान होते का वीडियो बनाया।।

कमेंट मे जब देखा रोष, हम में भी फिर आया जोश।
कैमरा के आगे फिर हम जो दहाड़े, पास खड़ो के उड गए होश।।

देख दारोगा बढता बवाल, मुंशी को बोले इसे जीप मे डाल।
दो लोग पकड़ हमें जीप मे डाले, थाने ले जा किए कूल्हे काले। 

बदन हो गया लाल नीला, हाल कर दिया एक दम ढीला।
मार मार जो भूत उतारा, मानो जैसे कोई फ्रूट छीला।।

आखिर में हमको समझ मे आया, उस रोज बाद हैलमेट लगाया।
कागज भी अब रखता हूं सारे पूरे, एक भूल ने आखिर ये सब सिखलाया।।  "चालान" एक हास्य कविता
#कविता #हास्य_व्यंग्य #हास्य #हिन्दीकविता #हिंदी #चालान #tarunvijभारतीय
हेलमेट नहीं लगाएंगे, बाइक को खूब भगाएंगे।
टेढे मेढ़े कट मारकर, फर से फुर हो जाएंंगे।।

रोके फिर चाहे थानेदार, मुंशी हो या हवादार।
रोके से भी रुके ना हम, विधायक हमारे चचा का यार।।

डंडा जो दिखाइस हमको, शायद ना पहचाने हमको।
निकाल के चालान की कापी, पुलिसगिरी दिखाए हमको।। 

फिर अपना टोर दिखाया हमने, फट से फोन लगाया हमने।
हैलो होते विधायक जी सू, दरोगा के कान पर लगाया हमने।।

इससे पहले के चचा कुछ बोले, दरोगा लिए चालान बुक खोले।
जैसे जैसे आए फोन से आवाज, मुंशी लगा भरने खुद गोले।।

देख के ये हमको गश आए, निकाल हरी पत्ती चेले को बढाए।
चेला भी निकला इमानदार, बाइक से महंगा चलान बनाए।। 

अब का करे कुछ समझ ना आया, के तभी दिमाग में आइडिया आया।
चला के फोन हुए फ़ेसबुक लाइव, चालान होते का वीडियो बनाया।।

कमेंट मे जब देखा रोष, हम में भी फिर आया जोश।
कैमरा के आगे फिर हम जो दहाड़े, पास खड़ो के उड गए होश।।

देख दारोगा बढता बवाल, मुंशी को बोले इसे जीप मे डाल।
दो लोग पकड़ हमें जीप मे डाले, थाने ले जा किए कूल्हे काले। 

बदन हो गया लाल नीला, हाल कर दिया एक दम ढीला।
मार मार जो भूत उतारा, मानो जैसे कोई फ्रूट छीला।।

आखिर में हमको समझ मे आया, उस रोज बाद हैलमेट लगाया।
कागज भी अब रखता हूं सारे पूरे, एक भूल ने आखिर ये सब सिखलाया।।  "चालान" एक हास्य कविता
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