हमसे फ़र्क नहीं पड़ता इस ज़माने को। बचा क्या है ज़िन्दगी में और गवाने को। हम टूट के बिखरे या फिर संभल जायें। इक कतरा बहुत है इतिहास रचाने को। ©Chitra Chakraborty #हौसलें का इक कतरा