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White अनुप्रास अलंकार कविता खिली है रुत बसंत की,

White अनुप्रास अलंकार कविता 

खिली है रुत बसंत की,
कली कली ने डाल डाल पर,
मधुमास के मौसम में , मद 
भरी ख़ुशबू का रंग बिखेरा है।

बहक के बावरे हुए हैं भंवरे,
प्रीत ने प्रेम से योगियों को घेरा है,
किरण किरण ख़ुशी से खिल 
उठी है,नई सुबह ने डाला डेरा है।

©Anuj Ray अनुप्रास अलंकार कविता"
White अनुप्रास अलंकार कविता 

खिली है रुत बसंत की,
कली कली ने डाल डाल पर,
मधुमास के मौसम में , मद 
भरी ख़ुशबू का रंग बिखेरा है।

बहक के बावरे हुए हैं भंवरे,
प्रीत ने प्रेम से योगियों को घेरा है,
किरण किरण ख़ुशी से खिल 
उठी है,नई सुबह ने डाला डेरा है।

©Anuj Ray अनुप्रास अलंकार कविता"
anujray7003

Anuj Ray

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