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आया हूं उन गलियों में जहाँ से रोज गुज़रता था.. वो

आया हूं उन गलियों  में जहाँ से रोज गुज़रता था.. वो जो पड़ा रहता था बीच  में मुझसे  रोज लिपटता था... गिरा था  इश्क़  में उसके,  तो लोग उसे  बदनाम करते थे... कई ठोंकर मरते थे तो  कई पत्थर समझते थे.... देखा है आज आके  मैंने, वो गलियां पक्की बनी हुई है... मकान तो है वही, लेकिन उसकी निशानी तक नहीं है.. समझाओ ऐसे लोगों  को, के वो गलियां पक्की  ना बनाएं... गिरेंगे इश्क में उसके सबक तो सीख लेंगे ना... जरुरी है राह में पथरो का मिलना.... जरुरी है राह में पत्थरो का मिलना.....
आया हूं उन गलियों  में जहाँ से रोज गुज़रता था.. वो जो पड़ा रहता था बीच  में मुझसे  रोज लिपटता था... गिरा था  इश्क़  में उसके,  तो लोग उसे  बदनाम करते थे... कई ठोंकर मरते थे तो  कई पत्थर समझते थे.... देखा है आज आके  मैंने, वो गलियां पक्की बनी हुई है... मकान तो है वही, लेकिन उसकी निशानी तक नहीं है.. समझाओ ऐसे लोगों  को, के वो गलियां पक्की  ना बनाएं... गिरेंगे इश्क में उसके सबक तो सीख लेंगे ना... जरुरी है राह में पथरो का मिलना.... जरुरी है राह में पत्थरो का मिलना.....