गिनती पूछो उससे वो रोज़ कितने हसींनों को देख लेता हैं वो रोज़-ब-रोज़ चौराहों पर जा अपनी ऑंखें सेंक लेता हैं ©Chandan Ki kalam शायरी #हसींनों #चौराहा