मन मेरा चंचल- अस्थिर मधुर मयूरा सा बन मटक मटक इधर उधर मचल सा जाए, फुटबॉल सी लुढ़कती मेरी अभिलाषाएं कभी ये कभी वो मानो सारा जहान पा जाए, पाने को दृढ़निष्ठा,आत्मविश्वास व उत्कृष्ट हौसला भरा है मेरे जाबाज जज्बातों में, पा लूँगी एक दिन जो मन मयूरा ने सोचा है व ठाना है,हार नही मानूँगी चंद हार से। #challengeno48 #the_speed_of_motivation #collabwithtsom 👉अक्टूबर की दूसरी स्पेशल प्रतियोगिता ! 👉चार पंक्तियों के साथ collab करें ! 👉कॉमेंट बॉक्स में 55555 लिखें !