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तुम्हारे संग मिट जाने की मेरी चाह  तुम्हारे संग

तुम्हारे संग मिट जाने की मेरी चाह


 तुम्हारे संग मिट जाने की मेरी चाह न जाने क्यू अब खामोश दिखाई देती हैं

जूस्तजू जो रहती थी दिल मे न जाने क्यू अब वो छुपी रहती हैं

मैं तो आशिक था जन्मो से तुम्हारा पर

अब क्यू ये आशिकी बेरूख़ी सी लगती हैं

शायद मैं खुद को ही ढ़ूनता था तुममे

पर खुद को पाने की कोशिश मुझे अब फ़िजूल लगती है तुम्हारे संग मिट जाने की मेरी चाह


 तुम्हारे संग मिट जाने की मेरी चाह न जाने क्यू अब खामोश दिखाई देती हैं

जूस्तजू जो रहती थी दिल मे न जाने क्यू अब वो छुपी रहती हैं

मैं तो आशिक था जन्मो से तुम्हारा पर
तुम्हारे संग मिट जाने की मेरी चाह


 तुम्हारे संग मिट जाने की मेरी चाह न जाने क्यू अब खामोश दिखाई देती हैं

जूस्तजू जो रहती थी दिल मे न जाने क्यू अब वो छुपी रहती हैं

मैं तो आशिक था जन्मो से तुम्हारा पर

अब क्यू ये आशिकी बेरूख़ी सी लगती हैं

शायद मैं खुद को ही ढ़ूनता था तुममे

पर खुद को पाने की कोशिश मुझे अब फ़िजूल लगती है तुम्हारे संग मिट जाने की मेरी चाह


 तुम्हारे संग मिट जाने की मेरी चाह न जाने क्यू अब खामोश दिखाई देती हैं

जूस्तजू जो रहती थी दिल मे न जाने क्यू अब वो छुपी रहती हैं

मैं तो आशिक था जन्मो से तुम्हारा पर
rahulaggrawal7964

Swapnil

Growing Creator

तुम्हारे संग मिट जाने की मेरी चाह  तुम्हारे संग मिट जाने की मेरी चाह न जाने क्यू अब खामोश दिखाई देती हैं जूस्तजू जो रहती थी दिल मे न जाने क्यू अब वो छुपी रहती हैं मैं तो आशिक था जन्मो से तुम्हारा पर #कविता