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लाल हुई जब ज़मीं ए कर्बला खूं ए शब्बीर से, खाक बन

लाल हुई जब ज़मीं ए कर्बला
खूं ए शब्बीर से,
खाक  बन गई  शिफा
खूँ ए शब्बीर से।।
सदा ये आती है ’मोहसिन’
खूं ए शब्बीर से,
मातम है हक़ मेरा
हुकुम ए नबी से।।
✍️✍️मुर्तजा ’मोहसिन’

©Murtaza Ali #मातम ए शब्बीर
लाल हुई जब ज़मीं ए कर्बला
खूं ए शब्बीर से,
खाक  बन गई  शिफा
खूँ ए शब्बीर से।।
सदा ये आती है ’मोहसिन’
खूं ए शब्बीर से,
मातम है हक़ मेरा
हुकुम ए नबी से।।
✍️✍️मुर्तजा ’मोहसिन’

©Murtaza Ali #मातम ए शब्बीर
murtazaali5876

Murtaza Ali

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