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दिल को पता नहीं क्यों तेरी दीद को बेकरार हो रहा है

दिल को पता नहीं क्यों तेरी दीद को बेकरार हो रहा है 
क्या करें दिल ए तमन्ना अब आंखों से ही इजहार हो रहा है। 




हिम्मत सिंह writing# thinking# Punjabi poetry# Hindi poetry# Urdu poetry#
दिल को पता नहीं क्यों तेरी दीद को बेकरार हो रहा है 
क्या करें दिल ए तमन्ना अब आंखों से ही इजहार हो रहा है।
                                                             हिम्मत सिंह
दिल को पता नहीं क्यों तेरी दीद को बेकरार हो रहा है 
क्या करें दिल ए तमन्ना अब आंखों से ही इजहार हो रहा है। 




हिम्मत सिंह writing# thinking# Punjabi poetry# Hindi poetry# Urdu poetry#
दिल को पता नहीं क्यों तेरी दीद को बेकरार हो रहा है 
क्या करें दिल ए तमन्ना अब आंखों से ही इजहार हो रहा है।
                                                             हिम्मत सिंह
himmatsingh7299

Himmat Singh

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