दिल को पता नहीं क्यों तेरी दीद को बेकरार हो रहा है क्या करें दिल ए तमन्ना अब आंखों से ही इजहार हो रहा है। हिम्मत सिंह writing# thinking# Punjabi poetry# Hindi poetry# Urdu poetry# दिल को पता नहीं क्यों तेरी दीद को बेकरार हो रहा है क्या करें दिल ए तमन्ना अब आंखों से ही इजहार हो रहा है। हिम्मत सिंह