रात के तकरीबन 2 बज चुके है,
हर रोज की तरह आज भी मेरी आंखो में नींद नहीं है....
लोगो की जिंदगियां तो अभी कुछ दिनों से कैद हुई है...
पर मेरी जिंदगी उस रोज से ही एक कमरे में कैद है जिस रोज से मैंने इस सफ़र में कदम रखा था ....
लगभग 3, 4 साल होने को आए तमाम उतार चढ़ाव के बाद अगर मै आज जब खुद में झाकता हूं तो खुद को आज भी वही पाता हूं जहा आज से 3- 4 साल पहले था....
हर रोज ये उलझने मुझे सोने नहीं देती ...
मुझे ये पसरा हुआ सन्नाटा पसंद था, पर अब इस सन्नाटे में उस घड़ी की टिक टिक करती सुइयां भी मेरे दिमाग पर एक हथौड़े कि तरह प्रहार करती है ......
उलझने तामाम है, मै चाह कर भी अपने मन की हल चल को नहीं रोक पाता, #Motivation#Inspiration#ShortStory#yqbaba#yqdidi#yqtales#yqstory#Deepkush