रुठी सी जिन्दगी में काश! पूरा कोई मेरा सपना होता हमे तो सब दूर के लगते है काश! कोई अपना होता बकवास जिन्दगी जीने के आदत छूट जाते जो दर्पण आज बने है वो शायद टूट जाते फिर एक नई जिन्दगी की शुरुआत होती हाँ उसी दिन से सम्भल जाते फिर क्या बात होती छाँव को छोड़कर बस हमें तपना होता हमें तो सब .................... अपना होता आजाद जिन्दगी में भी लगता है डर मालूम नहीं क्या बन पाऊँगा निडर अगर बनूँगा तो मेरा डर अख्तर हो जायेगा तब जिन्दगी जीने में आनन्द खूब आयेगा वैसे अभी ना वासर का पता ना रजनी का ठिकाना है आँखो को भी ना जाने किस बात का बहाना है काश! ऐसा दिन आता बस किसी का नाम जपना होता हमें तो सब........................................अपना होता काश! कोई अपना होता