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"जीवन द्वंद" आज पहचान है मेरे समक्ष जाने कब धूमिल

"जीवन द्वंद"
आज पहचान है मेरे समक्ष
जाने कब धूमिल पड़ जाए
कुछ पाने में कुछ खो जाए
कुछ खो कर, सब्र हो जाए।
आज हृदय है मेरा निश्छल 
जाने कब छलावा भर जाए
कल्पना सारी मिथ हो जाए
शील मनोभाव, उपज जाए।
आज कर्म प्रधान है मौलिक
जाने कब कल्पित बन जाए
भौतिकता एकनिष्ठ हो जाए
अध्यात्म सर्व निष्ठ, रह जाए।
आज धर्म से है दिशा प्रशस्त
जाने कब मोह भंग हो जाए
देवस्थान में पत्थर बस जाए
मेरा हृदय मोम ही, रह जाए। मेरी प्यारी बेटी गोलची के जन्मदिन के अवसर पर यह दर्शन कविता लिखा है।
#गोलची 
Happy birthday Golchi,🎉🎂🥰🎈
#विप्रणु #yqdidi #love #miscellaneous
"जीवन द्वंद"
आज पहचान है मेरे समक्ष
जाने कब धूमिल पड़ जाए
कुछ पाने में कुछ खो जाए
कुछ खो कर, सब्र हो जाए।
आज हृदय है मेरा निश्छल 
जाने कब छलावा भर जाए
कल्पना सारी मिथ हो जाए
शील मनोभाव, उपज जाए।
आज कर्म प्रधान है मौलिक
जाने कब कल्पित बन जाए
भौतिकता एकनिष्ठ हो जाए
अध्यात्म सर्व निष्ठ, रह जाए।
आज धर्म से है दिशा प्रशस्त
जाने कब मोह भंग हो जाए
देवस्थान में पत्थर बस जाए
मेरा हृदय मोम ही, रह जाए। मेरी प्यारी बेटी गोलची के जन्मदिन के अवसर पर यह दर्शन कविता लिखा है।
#गोलची 
Happy birthday Golchi,🎉🎂🥰🎈
#विप्रणु #yqdidi #love #miscellaneous