आज महफ़िल में खामोशी सही, पर कभी यहाँ भी इक शोर था, मैं भी किसी चाँद के ख़ातिर, बन बैठा चकोर था, जब से छोड़ दिया उसने हाथ, तब से हम, हम नहीं, मौत भली हो इससे, अकेलापन मौत से कम नहीं... OPEN FOR COLLAB✨ #ATअकेलापनमौतसेकमनहीं • A Challenge by Aesthetic Thoughts! ♥️ Collab with your thoughtful words.✨ Transliteration: Akelapan maut se kam nahi