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वो शाम को ठंड हवाओं का चलना कुछ तुम्हारी याद दिलात

वो शाम को ठंड हवाओं का चलना कुछ तुम्हारी याद दिलाता है,
तुम्हारी बेरुखी का ये मंज़र अक्सर मुझे रूला जाता है।
तुम कहते हो तो चलो भूल जाता हूँ,
पर तुम्हारा ये चेहरा मुझे कुछ अपनेपन का एहसास कराता है।।

रात को चाँद का बादलों से यूँ खेलना,
हजार शैतानियों की याद दिलासा है।
चाहती तो हूँ इन आँखों को भूल जाना पर,
तुम्हारी आँखों का ये कालज हर बार मुझे मुझसे ही छीन कहीं दूर ले जाता है।।

सुबह की ये ताज़गी तुम्हारी रूह का एहसास कराती है,
खुली तुम्हारी जुल्फें ये घनी काली रात- सी ढाती है।
जो कुछ भी कहकर न कह पाता हूँ मैं,
वो तुम्हारी ये अदायें कह जाती हैं।।

SHIVANGI ASTHANA🌹🌹 #ankhealfaaz #ShiviSA
वो शाम को ठंड हवाओं का चलना कुछ तुम्हारी याद दिलाता है,
तुम्हारी बेरुखी का ये मंज़र अक्सर मुझे रूला जाता है।
तुम कहते हो तो चलो भूल जाता हूँ,
पर तुम्हारा ये चेहरा मुझे कुछ अपनेपन का एहसास कराता है।।

रात को चाँद का बादलों से यूँ खेलना,
हजार शैतानियों की याद दिलासा है।
चाहती तो हूँ इन आँखों को भूल जाना पर,
तुम्हारी आँखों का ये कालज हर बार मुझे मुझसे ही छीन कहीं दूर ले जाता है।।

सुबह की ये ताज़गी तुम्हारी रूह का एहसास कराती है,
खुली तुम्हारी जुल्फें ये घनी काली रात- सी ढाती है।
जो कुछ भी कहकर न कह पाता हूँ मैं,
वो तुम्हारी ये अदायें कह जाती हैं।।

SHIVANGI ASTHANA🌹🌹 #ankhealfaaz #ShiviSA