चंद टूटे हुए आसार लिए बैठे हैं, डूबती कस्ती की पतवार लिए बैठे हैं, कौन सी बात चुभती रहती है, बेवजह दर्द का बाज़ार लिए बैठे हैं.. -©निर्मल एहसास #nirmalehsaas #निर्मलएहसास nirmalehsaas.blogspot.com https//nirmal-ehsaas.ueniweb.com/