जोड़ के खुद को पुर्जा पुर्जा,तेरे आगे करता हूँ देखना है कि अब की बारी जीत हूँ की मरता हूँ दर्द लिफाफे में रखा है , सपनों भरा लिहाफ़ है कितने हिस्से चूर हुए थे,उसका भी मुझे हिसाब है फिर भी तेरे ज़ानिब मैं, चलने की कोशिश करता हूँ देखना है कि अब की बारी जीत हूँ की मरता हूँ कई दुआएँ घायल हैं, कुचला हुआ यकीन है और साँसों की डोर का धागा वो भी बड़ा महीन है जीना मुश्किल है थोड़ा मैं मरने से कब डरता हूँ देखना है कि अब की बारी जीत हूँ की मरता हूँ अब तेरे हाथों में मेरी कटी पतंग की ड़ोर है अगर संभाले तो संभले, हवा बड़ी ही जोर है तेरी रहमत की लहरों के नाव हवाले करता हूँ देखना है कि अब की बारी जीत हूँ की मरता हूँ ~ खुशु @उदासियाँ ©Mo k sh K an #उदासियाँ_the_journey #mokshkan #Zen #prayer #hope #Faith #Submission