बच्चे ही अच्छे थे हे राम, हम बच्चे ही अच्छे थे। बच्चे ही अच्छे थे हे राम, हम बच्चे ही अच्छे थे। न थी हमें किसी की फ़िक्र, पड़ना लिखना घूमना ईदर– उदर। खेलते हम शैतानियाँ करते, पर मन के सच्चे थे। बच्चे ही अच्छे थे हे राम, हम बच्चे ही अच्छे थे। बच्चे ही अच्छे थे हे राम, हम बच्चे ही अच्छे थे। बड़े होने के साथ- साथ, कल की चिंता बडती गई। वर्तमान में जीना भूल गए, और जिंदगी यू ही गुजरती गई। “अलग” याद करता वो दिन, जब दाँत भी कच्चे थे। बच्चे ही अच्छे थे हे राम, हम बच्चे ही अच्छे थे। बच्चे ही अच्छे थे हे राम, हम बच्चे ही अच्छे थे। #NojotoQuote #chilhood #sukhbirsinghalagh