दो दिलो का अफसाना मन ही मन गुनगुनाना, याद आ जाता है वो घोंसले में बैठ चहचहान। गुज़रा हुआ महफिल बचा नही कुछ हासिल, लौट आ ऐ जिंदगी मै हुआ खुद का कातिल। ©Aniruddh Kumar यादे गुज़रे हुए कल की