स्वतंत्रता की वेदी पर शीश नवाने आये है हम देशप्रेम में सबकुछ ही लुटाने आये है अपने लहूं से धोएंगे,हम तो मां तेरे चरण हम खून का कतरा-कतरा तुझे देने आये है भारत कोई देश नही है,यह हमारी मां है माँ के लिये सर्व न्योछावर करने आये है स्वतंत्रता की वेदी पर शीश नवाने आये है भारत माँ के लिये हद से गुजरने आये है कोई भी हमे रोके ना,कोई हमे टोके ना, हिंद के लिये जींद समर्पित करने आये है यह भारत की माटी,सुख-दुख की साथी इस माटी को अपना रब बनाने आये है बुरी नजर से देखे क्या सोचकर भी देखे शत्रु घर मे सर्जिकल स्ट्राइक करने आये है हम फौजी सरहद से शत्रु मिटाने आये है स्वतंत्रता की वेदी पर शीश नवाने आये है देश मे आजकल नफरतों का जोर है, सब नेता लगते जनता को बस चोर है, इस माहौल में सही नेता ढूंढने आये है सही वोट से,सही सरकार चुनने आये है हर शख्स मौलिक कर्तव्य से अनजान है हम शिक्षक तम संस्कार मिटाने आये है स्वतंत्रता की वेदी पर शीश नवाने आये है बन वैज्ञानिक,देश विकसित करने आये है यह कोरोना महामारी,क्या जिंदगी हमारी चिकित्सक बनकर कोरोना हराने आये है वेक्सीनेशन द्वारा कोरोना मिटाने आये है हम सब देश को हिम भाल करने आये है हम किसान है,उफरते भारत की शान है देश आत्मनिर्भर करने का इरादे ले आये है हम किसान देश का गौरव बनने आये है हिंद को जन्नत की दुल्हन बनाने आये है हर कौम में,हिन्द है,सबके रोम-रोम में, हर सब हिन्द को एवरेस्ट बनाने आये है स्वतंत्रता की वेदी पर शीश नवाने आये है भारत को हम सर्वोच्च भारत करने आये है ©Vijay Kumar उपनाम-"साखी" स्वतंत्रता की वेदी #RepublicDay