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मेरे पाँव से लिपटी हैं अब तक पुराने बरगद की शाख़ें

मेरे पाँव से लिपटी हैं अब तक पुराने बरगद की शाख़ें
जहां भी जाऊं , मेरे साथ चल देती हैं मेरी ये ज़ंजीरें

(on sticking to old values)

     Fizuliyat revisited
मेरे पाँव से लिपटी हैं अब तक पुराने बरगद की शाख़ें
जहां भी जाऊं , मेरे साथ चल देती हैं मेरी ये ज़ंजीरें

(on sticking to old values)

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