हर रोज़ एक ख्वाब के साथ जगती हूँ, और रातों में खुद को ठगती हूँ, हर सुबह जीत का ख्वाब पाल कर फ़िर लड़ती हूँ,और रातों में फ़िर एक ख्वाब के साथ करवटे बदलती हूँ, मैं हज़ार बार टूटती हूँ, बिखरती हूँ,और लड़खड़ाते हुए बस हारती ही रहती हूँ, लेकिन इतना हारने के बाद भी, मैं हारती नहीं?........ ✍️💞 ©Ritika Thakur #self_motivation ,, daily streak challlenge ,day 2