समर्पण कर दो कुलों की, मान – सम्मान चरित्र संजोये नारी जीवन .. उठाये कंधों पर बाघदौर घर की , फिर भी अबला कहलाए ये नारी जीवन .... अपनी हृदय की व्यथा को अश्कों से यूं , अन्धेरी रातों में बहाती है, ढाट , मार , गाली , पुरुषों का दुरव्यव्हार, हर बार सहे कुछ ना कहे ये नारी जीवन .. पर हर घड़ी कही जाती है जुबां से हाये रे ये नारी जीवन ....। ©savi soni नारी जीवन