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बड़े नाज़ों से पाल पोस कर जब डोल

बड़े नाज़ों से पाल पोस कर 
                  जब डोली में उसको बिठाया
 मां बाप ने दामाद के हाथों 
                    दिल का टुकड़ा था पकड़ाया 
कुछ सालों में जब वह बिटिया 
                  सिसकियां ले लेकर थी रोई
 मां बाप की फिर तो जैसे 
                   सारी खुशियां ही थी खोई
  अपनी बेटी की तो  मांगें खुशियां
                 पर बहू को सम्मान ना दिलाएं 
बात-बात पर ताना कसते 
          दिल देते हैं उसका दुखाए
 बहू भी किसी की बेटी होती
                 उस पर भी तुम प्यार जताओ 
दिल से अगर अपना नहीं सकते 
              ब्याह  कर भी ना  लेकर आओ

©Anita Mishra
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