...' खामोशी '... कुछ इस तरह खामोशी का मँजर छाया है ना तेरी आवाज आयी और ना मेरी धड़कने सुनाई दीँ ये खामोशी भी अँधेरा है साया है ना तु कहीँ नजर आयी और ना कोई मुझे देख पाया है . ये खामोशी भी एक अदा है कत्ल करने की ना किसी को पता चला कि अश्क कितने बहे है और कितना लहू बह आया है (कैप्शन में पढ़ें पूरा) ...' खामोशी '... . कुछ इस तरह खामोशी का मँजर छाया है ना तेरी आवाज आयी और ना मेरी धड़कने सुनाई दीँ ये खामोशी भी अँधेरा है साया है ना तु कहीँ नजर आयी और ना कोई मुझे देख पाया है