क्यू ना एक दिन एेसा आ जाए कल की बेटी आजाद हो जाए बेफ़िक्री से जीए हर पल वो उसका क्यू ना इसके लिये एक कदम बढाया जाए | पहली अपनी सोच को बदला जाए जमाना बदला तो खुद भी थोड़ा बदला जाए भूत को अपने फ़िर ना दोहराकर गलतियो को मिलकर अब सुधारा जाए | इन घिनोंनी हरकतो को अब तो शान्त किया जाए अब तो उन्हें भी कुछ अपना करने दिया जाए क्यू ना अब एक आवाज उठा कर , बन्दिशे सारी तोड़ दी जाए कदम अब एक नया उठाकर शुरुआत अब एक नई की जाए | by:-akshita jangid (poetess) एक आवाज, एक नया कदम #nojoto#tst #poem#nojotohindi #kalakaksh#kavishala #ek#aawaaj#ek#nayaa#kadam